SITA JAYANTI 2022

आज हम माता सीता के जीवन के बारे में कुछ बातें जानेंगे। इस वर्ष 10 मई 2022 को सीता नवमी (Sita Jayanti 2022) है। आइये जानते है माता सीता के जीवन से जुड़े कुछ विशेष तथ्य..

त्याग और समर्पण के लिए यदि किसी स्त्री का नाम लिया जाए तो माता सीता का नाम सबसे पहले याद किया जाता है। माता सीता का जीवन बहुत ही कठिन और संघर्षपूर्ण था। सीता माता का जन्म (Janki jayanti 2022) वैशाख की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर हुआ था जिसे सीता नवमी (Sita Jayanti 2022) के नाम से भी जाना जाता है। वहीँ श्री राम का जन्म चैत्र की नवमीं में ही हुआ। माता सीता का विवाह त्रेता युग में श्री राम जी से हुआ था। माँ सीता को कई नामों की संज्ञा दी गई है जैसे मिथिला, जानकी, रामनंदनी व वैदही व अन्य भी उनके कई नाम है।

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माता सीता का जन्म (Sita Navami 2022) जनकपुर में हुआ था वे राजा जनक की पुत्री है। कई धर्म शास्त्रों में सीता जी के जन्म (Janaki Navami) से जुड़े कई कथन और बाते प्रचलित है। माता सीता को माँ लक्ष्मी का स्वरुप कहा जाता है जो की सौभाग्य व संपत्ति दात्री है जिनके पूजन-अर्चन से व्यक्ति के जीवन से बाधाओं का नाश होकर जीवन सुखमय बनता है।

आज के इस आर्टिकल में आपको हम माता सीता के जीवन के कुछ तथ्यों के बारे में बताएँगे।  

Sita Mata life facts | Sita Jayanti 2022 –

श्री राम और जानकी का विवाह

श्री राम और जानकी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को विवाह बंधन में बंधे थे।

36 गुणों का मेल

कहा जाता है की माता सीता और श्री राम के 36 के 36 गुण समान थे परन्तु वह अधिक समय तक एक-दुसरे के साथ नहीं रहे।

माता सीता कभी मायके नहीं गई

कथाओं की तरफ ध्यान दिया जाए तो उसके अनुसार माता सीता विवाह के पश्चात् कभी अपने माता-पिता के घर नहीं गई। जब उन्हें श्री राम के वनवास जाने का पता चला तो भी उन्होंने भगवान राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया था। अपने जीवन के इस कठिन समय में भी उन्होंने अपने पिता के घर जाने का नहीं सोचा।

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माता सीता कभी लंका गई ही नहीं

आपको यह पढ़कर आश्चर्य जरुर हो रहा होगा परन्तु यह सत्य है की रामायण में जो लंका कांड की माता सीता का उल्लेख है। वह केवल माँ सीता की छाया था, उनका असली स्वरुप तो श्री राम पहले ही अग्नि देव के पास सुरक्षित रख चुके थे।

माँ सीता लंका में 435 दिन रही

धर्म ग्रन्थों के उल्लेख के आधार पर माता सीता लंका में पुरे 435 दिनों तक रही थी।

शत्रुघ्न लव-कुश से जन्म के समय ही मिल लिए थे

कथाओं के अनुसार जब लव और कुश का जन्म हुआ था। तब श्री राम के छोटे भाई शत्रुघ्न आश्रम में ही थे। उन्होंने उन दोनों को आशीर्वाद भी दिया था परन्तु उन्हें उस समय यह ज्ञात नहीं था की वे दोनों बच्चे उनके ही कुल के कुलदीपक व श्री राम और माता सीता की संताने है क्योकि उस समय माँ सीता और शत्रुघ्न की मुलाकात नहीं हुई थी।

माता सीता ने नहीं दी अग्नि परीक्षा

ऊपर हमने जाना की असली माता सीता तो पहले से ही अग्निदेव के पास सुरक्षति थी। उन्हें ही वापस पाने के लिए श्री राम के आज्ञा अनुसार माता सीता की छाया रूप अग्नि में विद्यमान हो गई व अग्नि से वापस असली माता सीता का प्रकट हुआ।   

ससुर का किया पिंड दान

माता सीता ने एक नारी होते हुए भी अपने ससुर का पिंड दान किया था जिसका विश्वास किसी को न होने पर उन्होंने 5 जीवों को इसका साक्षी बताया था जिसके बाद सच के साक्षी होने पर भी झूट बोलने के कारण इस 5 जीवों को माता सीता ने श्राप दिया था जिसका असर आज भी है।

धरती में समाना

माता सीता ने अंत में अपने पुत्रों को श्री राम को सौपतें हुए स्वयं धरती में समा गई थी। कहा जाता है माता सीता धरती पुत्री थी।

आपने जाना –

Sita Jayanti 2022 के इस विशेष आर्टिकल में आपने माता सीता के जीवन से जुड़ें कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को जाना। उम्मीद करते है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा तो प्लीज इसे शेयर करना न भूलें।


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