सावन में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जानते है सावन और भगवान शिव की पूजा का क्या सम्बन्ध है
पुराण के अनुसार,जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया तो उसके परिणामस्वरूप, समुद्र से चौदह दिव्य वस्तुएं निकलीं।
हलाहल (एक घातक जहर) भी इस समुद्र मंथन के दौरान निकला। दुनिया को विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव ने जहर निगल लिया था और अपने गले में इसे स्थान दिया था।
जहर निगलने से उसका गला नीला हो गया इसलिए उन्हें नीलकंठ (नीला कंठ) के नाम से जाना जाता है।
भगवान शिव द्वारा जहर निगले जाने के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया था।इस तरह सावन सोमवार के व्रत का पालन भगवान शिव के सम्मान में रखा जाता है।
कहते है इस मास में भगवान शिव पर जल अर्पण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख बढ़ता है और दुःख घटता है।