करवा चौथ (Karwa Chauth 2022) इस वर्ष 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा यह व्रत अपने पति के उत्तम स्वास्थ, लंबी आयु के लिए रखती है
14 अक्टूबर को प्रातः 3 बजकर 08 मिनिट पर
13 अक्टूबर को रात 1 बजकर 59 मिनिट से
गुरुवार शाम- 18:01:03 से 19:15:47 तक
करवा का अर्थ होता है मिटटी का बर्तन व चौथ का अर्थ है चतुर्थी। इस दिन करवा मतलब मिटटी के बर्तन की पूजा की जाती है। इसके द्वारा रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पित किया जाता है।
महाभारत की एक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने भी द्रोपदी को यह व्रत पालन करने के लिए सुझाव दिया था इसके पश्चात् ही पांडव की युद्ध में विजय हुई।
मेहंदी - इससे हाथों की सुन्दरता निखरती है मेहंदी लगाना बेहद शुभ होता है
चूड़ियाँ - ये सुहाग का चिन्ह मानी जाती है इसमें लाल रंग प्रसन्नता व हरा समृद्धि का होता है
काजल - इससे आखों को सजाया जाता है
मंगल सूत्र - स्वर्ण व काले मोती से बना मंगल सूत्र किसी भी सुहागन के लिए सबसे जरुरी होता है इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते है
नथ - इसे नथनी भी कहा जाता है इससे नारी का रूप निखरता है
गजरा - इसे वेणी व चुडा मणि भी कहा जाता है इससे बालों को सजाया जाता है
कमरबंद - इसे तगड़ी भी कहते है यह महिलाओं को गृह स्वामिनी की संज्ञा प्रदान करता है
बाजुबंद - यह सोने या चांदी की धातु धारण करना चाहिए इससे परिवार के धन की रक्षा होती है
मांग टिका - इसे माथे के बीच में पहना जाता है जिसे सादगी का चिन्ह माना जाता है
पायल - चांदी की पायल महिलाओं को सुन्दरता के सहत शांति भी प्रदान करती है
बिछिया - इसे बिछुआ भी कहा जाता है यह महिलाओं में साहस का प्रतिक है
आलता - सुहागिन महिलाएं पैरों की सुन्दरता के लिए आलता लगाती है
अंगूठी - अंगूठी हाथों को सुन्दर बनाने के साथ मस्तिस्क को भी मजबूती प्रदान करती है