हर बहन राखी के त्यौहार का बढ़ी बेसब्री से इन्तेजार करती है। देश-विदेश में इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। आज हम जानने वाले है Raksha Bandhan 2022 में कब है और Raksha Bandhan 2022 Muhurat क्या है इसके अलावा आप जानेंगे Raksha Bandhan Rituals, Raksha Bandhan Significance व Raksha Bandhan Story के बारें में..
भाई बहन का रिश्ता नोक-झोंक लिए हुए रहता है जिसमे दोनों एक दुसरे को तंग तो करते है पर एक दुसरे से प्यार और लगाव भी उतना ही रखते है। एक दुसरे की फ़िक्र करते है। किसी भी बहन के लिए सबसे ज्यादा कोई स्पेशल फेस्टिवल होता है तो वो है राखी (Rakhi Importance)।
हर बहन राखी के त्यौहार का बढ़ी बेसब्री से इन्तेजार करती है यह दिन भाई-बहन के आपसी प्रेम को और ज्यादा गहरा कर देता है। हिन्दू धर्म के त्यौहारों में इस दिन को एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। देश-विदेश में इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है व भाई अपने बहन की रक्षा का वचन देते है तो इस तरह से यह भाई और बहन के पावन रिश्ते व प्रेम को बढ़ाने का पर्व है।
रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा का बंधन। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में राखी, राखरी, नारियल पूर्णिमा आदि लेकिन नाम कुछ भी हो इस पर्व के पीछे की भावना भाई और बहन के रिश्ते में प्रेम को बढ़ाना है। इस दिन पड़ने वाली पूनम (Purnima) को श्रावण पूर्णिमा के अलावा उड़ीसा में गाम्हा पूर्णिमा, पश्चिमी भारत में नारली पूर्णिमा, उत्तराखंड में जंध्यम पूर्णिमा, मध्य भारत में कजरी पूर्णिमा और बंगाल में झूलन पूर्णिमा कहा जाता है।
आज के आर्टिकल में –
हम जानने वाले है Raksha Bandhan 2022 में कब है और Raksha Bandhan 2022 Muhurat क्या है इसके अलावा आप जानेंगे Raksha Bandhan Rituals, Raksha Bandhan Significance व Raksha Bandhan Story के बारें में..
(रक्षाबंधन क्या होता है) What is Raksha Bandhan
रक्षा बंधन या राखी भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह भाई और बहन के बीच सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों की दाहिनी कलाई के चारों ओर एक धागा बांधती हैं व उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। हाल के दिनों में राखी सभी के प्रति दोस्ती और सद्भावना के बंधन का प्रतीक बनकर उभरी है
(रक्षाबंधन की तारीख 2022) Raksha Bandhan Date 2022
हर वर्ष राखी का त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा की तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन अगस्त महीने की 11 तारीख को मनाया जाएगा। राखी का शुभ मुहूर्त निचे दिए गए समयानुसार होगा।
(रक्षाबंधन मुहूर्त 2022) Raksha Bandhan Muhurat 2022
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समय –
हिन्दू पंचांग में सावन माह की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को प्रातः 10 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी और 12 अगस्त को प्रातः 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी तो इस तरह कई लोग दुविधा में है की राखी बांधने का सही दिन कौनसा है? वैसे 11 अगस्त को सुबह से ही भद्रा समय शुरू हो जाएगा जो की रात तक 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। हिन्दू धर्म में सूर्यास्त व भद्रा काल में किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है इसलिए असमंजस्य की स्तिथि बन रही है कि राखी कब बांधी जाए? यदि आप 12 अगस्त को राखी बांधने वाले है तो सुबह 7 बजे से पहले व यदि 11 अगस्त को राखी मना रहे है तो सुबह 10 बजे से पहले भाई की कलाई पर राखी बांध दें।
नोट – कई ज्योतिषों के मत के अनुसार भद्रा काल के समय चन्द्र का मकर राशि में आगमन होगा। इस वजह से इस भद्रा काल का असर केवल पाताललोक पर पड़ेगा। इसका मृत्युलोक से कोई सम्बन्ध नहीं होगा। इस वजह से इस समय को मानना या नहीं यह आप की स्वेच्छा पर निर्भर करता है।
(रक्षा बंधन का इतिहास) History of Raksha Bandhan
राखी का उपयोग भारत में ऐतिहासिक काल से दोस्ती और भाईचारे को दर्शाने के लिए किया जाता रहा है। राजपूत रानियाँ मित्रता के प्रतीक के रूप में पड़ोसी राजाओं को राखी भेजती थीं। राखी व रक्षा बंधन पर्व से जुडी कई बातें व कहानियां काफ़ी प्रचलित है केवल एक ही नहीं कई ऐसी कथाएं है जो की सदियों से राखी के महत्त्व का बखान करती आ रही है।
द्रौपदी व श्री कृष्णा –
जब श्री कृष्णा शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र का उपयोग करते है तो चक्र की धार से कृष्ण के ऊँगली में घाव हो जाता है। खून को बहता देख द्रौपदी उसी क्षण बिना विलम्ब के अपनी सारी के पल्लू को फाड़ कर कृष्ण की ऊँगली में बाँध देती है। तब कृष्ण द्रौपदी को रक्षा का वचन देते है की आज से तुम मेरी बहन हो द्रौपदी, अब से जब भी तुम मुझे पुकारोगी में उसी क्षण बिना विलम्ब के तुम्हारी मदद के लिए भागा चला आऊंगा और उस वचन को द्रौपदी के चीरहरण के समय आकर निभाते भी है व द्रौपदी की लाज बचाते है। (Rakhi Story in Hindi)
इंद्र व इन्द्राणी
बारह वर्ष तक युद्ध में जब देवताओं को हार मिली व दैत्यराज ने समस्त लोकों में कब्जा कर लिया और सभी धर्म-कर्मों को रोक दिया तो देवताओं के राजा इंद्र गुरु ब्रहस्पति के पास पहुंचे और उनसे इस सम्बन्ध में कोई उपाय के लिए प्रार्थना की। वृहस्पति ने इंद्र की समस्या सुन रक्षा का विधान करने के लिए कहा जिसे श्रावण पूर्णिमा के दिन किया गया था जिसमे इन्द्राणी ने मन्त्रों से उच्चारित रक्षा कवच इंद्र के दाहिनी कलाई पर बांधा था जिसके प्रभाव से राक्षसों की हार हुई और देवताओं को जीत मिली। तभी से ही पूर्णिमा पर राखी का त्यौहार मनाया जाता है। (Story Behind Raksha Bandhan in Hindi)
कर्मवती व हुमायूँ
चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने (जो की एक हिन्दू रानी थी) मुगलों के बादशाह हुमायूँ को अपना भाई माना था और भाई के लिए उन्होंने रक्षा सूत्र भी भेजा था जिसे हुमायूँ द्वारा स्वीकार किया गया था और उसका फर्ज भी अदा किया। जब रानी के सम्मान पर बन आई तो हुमायूँ ने गुजरात के बादशाह से लड़ाई भी लड़ी थी।
पन्ना व जहाँगीर
जब राजस्थान की दो रियासतों में लड़ाई चल रही थी तब राजपूत पर मुगलों ने हमला कर दिया। अवसर को फायदे का मान कर दूसरी रियासत वाले राजपूत मुगलों का साथ देने के लिए योजना बनाने लगे और सेना तैयार करने लगे उन्ही मुगलों के बीच में पन्ना घिरी हुई थी। उसने उस दूसरी राजपूत सियासत के शासक को राखी भेजी। राखी के प्रेम भरे भाव के कारण दूसरी राजपूत सियासत ने मुगलों पर ही हमला कर दिया जिसके कारण मुगलों की हार हुई तो इस तरह से एक राखी ने दोनों रियासतों की लड़ाई ख़त्म कर दी और उनकी पक्की मैत्री हो गई।
(रक्षा बंधन का महत्व) Raksha Bandhan Significance
रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। बहनें अपने भाई की कलाई में एक धागा बांधती हैं अपने भाइयों के माथे पर ‘तिलक’ भी लगाती हैं और बदले में आजीवन सुरक्षा का वादा प्राप्त करती हैं। भाई अपनी बहनों को सुरक्षित रखने के वादे के अलावा उपहार भी देते हैं।
(रक्षाबंधन के रीती रिवाज) Raksha Bandhan Rituals
- महिलाएं सुबह स्नान कर व्रत रखती हैं। वे पूजा करती हैं।
- वे अपने भाइयों, चचेरे भाइयों के साथ-साथ असंबंधित पुरुषों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं जिन्हें वे भाई मानते हैं।
- वे भाई के माथे पर चावल और हल्दी का निशान लगाती हैं और आरती करती हैं।
- भाई बहनों को उपहार देते हैं और एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
- उड़ीसा में, गम्हा पूर्णिमा मनाई जाती है जहाँ इस दिन गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
- पश्चिमी भारत में, नारली पूर्णिमा मनाई जाती है जहां समुद्री देवता वरुण को नारियल चढ़ाया जाता है। यह मछली पकड़ने के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
- जांध्यम पूर्णिमा उत्तराखंड में मनाई जाती है जहां इस दिन पवित्र धागा बदला जाता है।
- झूलन पूर्णिमा बंगाल में मनाई जाती है जहाँ कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है।
(आपने जाना) Conclusion of this Article
Raksha Bandhan 2022 में आज हमने आपको बताया की इस वर्ष राखी कब और किस दिन (Rakhi 2022) मनाई जाने वाली है व इसके शुभ मुहूर्त (Rakhi Muhurat 2022) कब है साथ ही हमने राखी से जुडी कुछ पुराणी कथाओं (Story of Raksha Bandhan), राखी के रीती-रिवाज (Raksha Bandhan Rituals), राखी का महत्त्व (Importance of Rakhi) के बारे में भी जाना। उम्मीद करते है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा तो प्लीज इसे अपने के दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे और हमें भी बताये की आपको यह आर्टिकल कैसा लगा।
(Frequently Asked Questions) अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
रक्षा बंधन के दिन से 15 वें दिन राखी को हटाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि 15वें दिन, पोला नामक एक त्योहार मनाया जाता है, जब किसानों को भगवान मारबोट देव और बैल की पूजा करते है।
देश के कई हिस्सों में भाइयों की लम्बी आयु, समृद्ध जीवन व भगवान की कृपा बनी रहे इसके लिए बहनों द्वारा इस दिन व्रत धारण किया जाता है
रक्षा बंधन का शुभ अवसर भारत के कई हिस्सों में बहुत प्यार और खुशी के साथ मनाया जाता है। भाई और बहन के बीच साझा किए गए खूबसूरत बंधन को मनाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर बहन अपने भाई के हाथ की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती है।
कुछ लोग रक्षा बंधन के दिन भगवान को राखी भी बांधते हैं। मान्यता है कि इस खास दिन भगवान को राखी बांधने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रक्षा बंधन के दिन भाद्र और राहुकाल के समय राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा और राहुकाल में राखी बांधना भाई-बहन दोनों के लिए अशुभ माना जाता है।
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